Sunday, August 24, 2025

BJBA का समुद्र किनारे छठ – प्रेम, अपनापन और विस्तारित परिवार की यात्रा

कहानी: BJBA का समुद्र किनारे छठ – प्रेम, अपनापन और विस्तारित परिवार की यात्रा

इस साल का छठ मेरे लिए केवल एक पर्व नहीं था — यह मेरे दिल पर गहराई से लिखी गई एक अनुभूति थी। 🌅

घर जो मंदिर बन गया

छठ से कुछ दिन पहले ही मेरा घर भक्ति और प्रेम से जगमगाने लगा। रसोई में टेकुआ  तलने की मीठी ख़ुशबू फैली हुई थी, जहाँ BJBA के मेरे मित्र कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे थे। कोई हँसते-बतियाते प्रासाद सजाता, कोई फल और मिठाइयाँ चुनकर सूप में रखता — मानो अपनी माँ को उपहार तैयार कर रहा हो।

घर का हर कोना हंसी, बातचीत और उस प्यारे शोर से भर गया — जो सिर्फ परिवार में मिलता है। मैंने चारों ओर देखा… और समझा कि ये सब मेरे मित्र नहीं, बल्कि मेरे भाई-बहन, मेरे चचेरे-ममेरे रिश्तेदारों जैसे हैं। उस पल में मेरा घर सिर्फ दीवारें और छत नहीं था — बल्कि एक धड़कता हुआ दिल था, जो प्रेम और भक्ति से जीवित था।

🌸 समुद्र जिसने हमें गले लगाया
जब पूजा का दिन आया, तो हम वह प्रेम लेकर समुद्र तट पर पहुँचे। बीच अब हमारा विस्तारित घर बन गया। लहरें बच्चों की तरह दौड़-दौड़कर हमें छू रही थीं। पैरों के नीचे की रेत पवित्र लग रही थी — जैसे खुद धरती हमारे अनुष्ठान में शामिल हो गई हो।

रंग-बिरंगी साड़ियों में महिलाएँ लहरों में खड़ी होकर अस्त होते सूरज को अर्घ्य दे रही थीं। पुरुष सेवा और व्यवस्था में लगे थे। बच्चे हँसी-खुशी में दौड़ रहे थे और हवा में भक्ति गीतों की गूंज थी।

और मैं वहाँ खड़ा था… एक व्यक्ति के रूप में नहीं, बल्कि BJBA के सदस्य के रूप में — एक ऐसे परिवार का हिस्सा जिसने दूरी और संस्कृतियों को पार कर, एक-दूसरे को अपनाने और सहारा देने का चुनाव किया था।

🌅 वह क्षण जब दिल भर आया
जैसे ही सूरज क्षितिज में समाने लगा, मैंने उसका प्रतिबिंब केवल समुद्र में ही नहीं देखा — बल्कि हर चेहरे में देखा। आँखों में प्रेम चमक रहा था, मुस्कानों में गर्व झलक रहा था और हर क्रिया में भक्ति का रंग था।

मेरी आँखों से आँसू बह निकले — दुख के नहीं, बल्कि अपार कृतज्ञता के। कृतज्ञता BJBA के उन मित्रों की, जिन्होंने परिवार बनकर साथ दिया… उन हाथों की, जिन्होंने बिना कहे सेवा की… उन गीतों की, जिन्होंने मुझे अपनी जड़ों से जोड़े रखा… और उस समुद्र की, जो हमारा घाट बन गया।

🙏 छठ का सच्चा अर्थ
छठ केवल सूर्य को अर्घ्य देने का पर्व नहीं है। यह एक-दूसरे को अपना प्रेम अर्पित करने का पर्व है।
यह याद दिलाता है कि घर कोई जगह नहीं है — घर वे लोग हैं जो हमारे साथ खड़े होते हैं।
यह सिखाता है कि भले ही हम हज़ारों मील दूर हों, वही विश्वास, वही ऊष्मा, वही पारिवारिक भावना BJBA के साथ यहाँ भी खिल सकती है।

🌊 मेरे लिए यह छठ वह समुद्र था, जो केवल हमारी प्रार्थनाएँ ही नहीं, बल्कि हमारा प्रेम भी अनंत तक ले गया।
और मेरा दिल कहता है — जहाँ प्रेम बाँटा जाता है, जहाँ परिवार इकट्ठा होता है, वहीं घर है, वहीं छठ है।

💛 और इस साल, BJBA के साथ मैं सबको आमंत्रित करता हूँ: आइए, हम सब फिर मिलें, इस छठ को और यादगार बनाएँ, और अधिक प्रेम से भरें, और ऐसा विस्तारित परिवार बनाएँ जो हर प्रार्थना और हर मुस्कान से और मज़बूत होता जाए।

जय छठ मैया! 🌺🙏